भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ब-नाम-ए-इब्न-ए-आदम / अज़ीज़ क़ैसी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:08, 22 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज़ीज़ क़ैसी }} {{KKCatNazm}} <poem> अब तक तुम स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अब तक तुम से कहा गया है
इंसाँ फ़ानी मौत अटल है
जीवन जल है
जिस की धार कभी न टूटे
जो आता है मर जाता है
जो आएगा मर जाएगा
मैं तुम से कहने आया हूँ
इंसाँ ला-फ़ानी है अमर है
मौत तग़य्यगुर का इक पल है
जीवन जल है
जिस का कोई अंत नहीं है
रह जाए तो ये सागर है
और मर जाए तो बादल है