भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कागद रै ठाण पर / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:46, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण
कागद रै ठाण पर
स्याही री सांकळ स्यूँ
सबद् री गाय बाँध,
तुक रो नाणूँ दे’र
गीत रो दूध दुह
आंणद री खीर राँध !