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मिरगा नैणी, वासक वैणी / कन्हैया लाल सेठिया

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मिरगा नैणी, वासक वैणी !
साव ही काचो है ओ काच,
रूप रो सपनूँ भलांई देख,
कठै पड़ी है ईं में साच ?