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मन (1) / कन्हैया लाल सेठिया

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रवै
बापड़ै जीव रै
लाग्योड़ो
कोई न कोई टामो
तोलै
जिनगानी री
ताकड़ी पर
वासणा रै बाटां स्यूं
कणाई सुख
कणाई दुख
कोनी रैण दै
विचार री डांडी नै
सम
मन रो बाणियो।