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निगूढ / कन्हैया लाल सेठिया

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बजा’र
एक गीत री धुन
रख दी सितार नै
जग्यां सर
गूंगो वादक।
कोनी झाली
ऊपर गयोड़ी गूंज नै
बोळो अकाश
पण पकड़ली
बीं धुन नै
गळी में बैठो
सूरदास !