भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बगत / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:21, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीकल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
न कोई हुवै देवता
न कोई पलीत,
ओ तो काळ
जको ही चालै
सुऊं’र ऊंधो,
मिनख बो
जको राखै
गत नै सुंई
मतै ही चली जासी
आपरी मोय में
हुई’र अणहुई !