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आंधी / कन्हैया लाल सेठिया
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मत
बाळ
निरथक तूळयां
कोनी चसण दै
दिवलो
अंधेरै री भायली
आंधी,
पण जे दीखज्या ई नै
कठैई लाग्योड़ो लांपो
बणा दै बीं नै
चनेक में लाय
आ बैरण,
सै जाणै
ई रूळियाड़ रा लक्खण,
कोनी हूण दै
ई धूळखाणी रो पगफेरो
कोई सिरजण !