भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चेत / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:54, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीकल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आ’ग्यो
अबै
खिंडायोड़ै नै
अंवेरणौ रो
बगत
मनै ठा है
कोनी लेण दै
आणियां जाणियां
जक
पण जद
देखसी
तनैं
करतां त्यारी
आपै ही
पकड़ लेसी बै
गेलो
फेर ढूक ज्यासी
बठै
जठै
मंडयोड़ो हुसी खेलो !