भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

औकात / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:55, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीकल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मती बिलो
थोथो थूक
कोनी कुदरत स्यूं छानी
कोई री औकात
कर सकै तूं
मोटै गिगनार नै
कोटड़ी में बन्द
पण
उगा सकै बीं में
सूरज, चांद’र तारा
रच सकै बादळ’र
रामधणख
आ कोनी थारी
खिमता
जे राखी च्यावै स्यान
कयो मान
मत तेवड़ काम अणूंता