भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निधड़क / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:24, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=हेमा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
देख्योड़ा करसां नै
निसंक सूता
गैरी नींद में
खेतां रै आरलै सारलै
धोरां पर
बठै ही करै
लोट पळोटिया
गरमी स्यूं आकळ बाकळ हुयोड़ा
ठंडी कंवली रेत पर
काळा नाग’र बिसैला जिनावर
नित देखै जाग्यां पछै करसा
मंडयोड़ी लीकां’र खोज
बै जाणै, बिना छेडयां
कोनी मारै डंक जिनावर
हुवै इस्यो निमधो तो मिनख
जको पोखै बैर
मारै मिनख नै
लगा’र घात !