भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मांगी मौत / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:12, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=हेमा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जका देखी है
ठंडी’र ताती
ऊंची’र नीची
बै जाणै कांई हुवै बगत ?
राखै मिनखपणो, करै पुरसारथ
कोनी हारै आपरो मतो
बै धाकड़
पण जका बिन्यां करयां मिणत
खावै बैठा बडेरां री संच्योड़ी पूंजी
बांरी छाती जाबक काची
जे घट ज्याावै कोई अणहूणी
बै टेक दै गोडा
फिरै साच स्यूं मूंडो लकोता
पण पडसी जीणो
कांई हुवै रोयां ?
कोनी मिलै मांग्योड़ी मौत !