पीला सोना/काला सोना / अश्वनी शर्मा
कौन जानता था
इस रेत के पीले सोने के नीचे
दबा है काला सोना
जबसे पता लगा है काले सोने का
काले सफेद साहबों की आवाजाही
बढ़ गई है थार में
बाड़मेर जो कभी
काला पानी कहाता था
सरकारी कारिन्दों की
पसंदीदा जगह बन गई हैं।
इस काले सोने को जगह देने
बेदखल होना पड़ेगा
कई माटी के जायों को
तरक्की-तरक्की की
रामधुन गुनगुनाते
छुटभैये नेताओं,अफसरांे
कम्पनी के साहबों और
दलालों की फौज घुस आई है थार में
ये फौज नहीं जानती
आदमी सिर्फ जमीन से बेदखल नहीं होता
हो जाता है जिंदगी से
माटी के जाये डोलते रहते हैं
तहसील और कम्पनी के दफ्तरों में
किसकी जमीन जायेगी किसकी बचेगी
इसके साथ थार में आये हैं
कुछ अजनबी शब्द
जिनको नहीं सुना गया था कभी
भू अवाप्ति, अवार्ड, भूमाफिया
मुख्त्यारनामा, इकरारनामा,
मेहनताना, बयाना, नजराना,
गोली, गैंगवार, टपकाना
रेत की कीमत बढ़ गई रातों रात
साहबों के साथ-साथ
कुछ रेत के जाये भी हो गये
वातानुकूलित रातों रात।