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औतार जाम्या / हरीश भादानी

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जद जाम्या औतार जाम्या
मखमलिया डूंगरां
धोळां फाडा-सा
भाठाआळी धरती
रज्जी नीं लगीं
बांरी पगथळयां रै
आंख्यां में फूस नीं रड़क्यौ
कवै में कोकरू आणौ कसौक
सिंर धोक्या
पूरबला धोया ऊमर ओसींजी
आगोतर घड़िया
चरणां रै धोवणा सूं
आला-गीला
चढियोड़़़ी तुलछी-मिसरी रै
छत्तीसां भोगां सूं
उफणतौ आफरो
सिरीमुख री बाण्यां सुण-सुण
जूंणां पर जूंणां जीया
कांधां रै तमोळै ऊभी
आंगळी बताई सीध
जुग चाल्या
किलबिलता चालताई रैया
घर मजलां नै धर कूचां नै घर मजलां....
सूंठ रा गांठिया भांगया बिना
अजवाण री
फाक्यां गिटियां बिना
गोरी गाय री
चूंटियो चाटयां बिना
जतरो नाखीज्यौ
मानीज्यो कीड़ी नगरो
धूड़ रै झाल्लोड़ौ
आभै पटक्यौ व्हैला
म्हैं नीं जांणू
कुण ही बा बेमाता
जीं पर धणी
धणियाप तो धणाई रैया
पण पूरां सूं
परोटणआळै आदमी नै
जद-जद हेला पाड़या
देवळयां
होंता गया औतार
दुखता कानां में सींच लैंता तेल
मांडणां मंडयौड़ी
छातां में फंसा’र दीदा
गैर-गंभीर होंता
डबडबता देख्या करता
खायां ई खायांआळै
कीड़ीलोक रा चितराम
अमूजता उफत्यौड़ा
वरदान रा
उठियोड़ा हाथ जड़ता
काच रा किवाड़ नै जाळयां-भरोखा
हूं जिलम्यो आखड़ियो
मरतां आखड़तो
आखड़तां-आखड़तां
भणियो-गुणियो
अबकै तो बोलतोई
चामड़ी-जर फाड़ पड़ियो
पड़तांई चालण लाग्यो
हूं सुकदेव......
कै मौसम री मार सूं
गरीभ ठेरै कै कूख फाटै
भळै औतार जामै
चालतां-चालतां
जुगां रा कांधा घसीज्या
डागळा-तमोळा
थोड़ा नीचा पड़ग्या
पगां नै
पगोथिया बणा’र
छाती तांई आ चढियो कीड़ी नगरो
औतारां री सांसां अमूजी
धड़को उपड़ियो जद-जद
खावणी पड़ी
पाकी उमर में
सठवा सूंठ
तवै तळनी पड़ी अजवाण
लोटडयां ऊंधावड़ी पड़ी चूंटियै री
थाळयां फूटी
थोथ रा ठांव नै
गळा पीटीज्या
भळै जाम्यौ मायड़ औतार
पण किणी नीं देख्यौ
म्हारी जामण रौ
जापो-स्वाढ
भूंगड़ा-फाकां सूं करती मासवो
मूंढै रै माथै चिणती
खोखरे दांतां री भींत
अकूरड़ी रै आसरै पसरती
म्हारी जामण
सम्हळाया टाट छीतरा फरोळ
गोडा घसीट
ऊभतां-ऊभतां
तड़ंग हुयग्यौ
छबीली घाटी रै
धूड़ो-मोड़ै
पेट री तांत्यां में
गुलगांठयां घालतौ
सुकदेव बौलूं सुणज्यौ....
सुणज्यौ धरमां रै
धोरां सूं जाम्यां
औतारां सुणज्यौ
कळजुग री कळां लगा’र
चालण लाग्यौ है कीड़ी नगरो
म्हारे मांय म्हारे बारै
पूरब-पच्छिम
दिखणादे-उत्तर चारू मेर
कीड़ी नगरै रा
लाग्यौड़ा थागो-थाग
थांरै कानां री ठेठयां काढण
उठग्या हांथां नै
ले’र हाका
सुणज्यौ... कीं थमतां सुणज्यौ
जुग रै माथै रा मौड़
रैवता आया
ठाणा-ठिकाणां
देवळयां-भोपां सुणज्यौ
रेलां-पुळां सूं
बेसी सांतरो
सैंतीस हुयग्यौ
कीड़ी नगरो बोलै.... बौलै...
थांरी छोडयौड़ी झूठ-
तुलछी-मिसरी सूं
भभका मार नीं चालैला अबै
ओझरयां रां इंजण
हथाळी
हुयगी है हथ्थयाळ
नीं पसरैला
नीं हुवैला अबै आला-गीला
सूखी-बणाट
ठाठयां रा ठट्ठ
थांरै चरणामत सूं
नीं बणाण दैला
कांधां रै माथै मेड़यां-माळिया
बोलतो-बालतो चालै
"म्हारै परवार नीं बणैला अबै
कैरोई इतियास
चेतो बापरयग्यो म्हनै
कींकर तोड़ीजै
काच रा किवाड़ नै जाळयां-झरोखा
हाफै थरपीज्या धणियां
आंख्यां उघाड़ देखो
कीड़ी नगरै रै
फाटी है
अतरी लांबी जाड़
दीसै बत्तीसूं दांत
गंगा रै पाट सौ
हबोळा खातो
बाको बोलै.... बोलै....
मानखै रै नांव रौ
लिखायो पट्टो
खोलणोई पड़सी
पोथ्यां-तिजूरयां में
राख्या इधकार
म्हारै हाथां में सोंपणाई पड़सी
म्हें भरियो है
बाथां में भूगोळ
म्हारी कमज्या रै माथै
म्हारौ ..... हां म्हारौ
धणियाय रैसी
पूठ री घोड़ी चढिया
बीन राजा
माटी रै माथै
फूठरा-फर्रा पगल्या
मांडणांई पड़सी
जद जिणसी
माणसिया जिणसी मायड़ री कूख
देबळयां सऊकार
ठकराई रा होकड़ा
नीं चढै़ला अबै चैरां रै माथै
मिनखां रै परवार में
सगळां री हांती-पांती
बरोबर रैसी
मिनखा रै नांव सूं
बाजैली धरती
नै देस नै आखी दुनिया