Last modified on 3 दिसम्बर 2013, at 04:12

सबद-एक / राजेश कुमार व्यास

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:12, 3 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश कुमार व्यास |संग्रह= }} {{KKCatRajastha...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अदीठ नैं
देवै दीठ,
थारै-म्हारै
बिचाळै रो भरै-
आंतरो।
 
गूंगा होवता थकां पूगै
था कनै म्हारा
अर
म्हा कनै थारा-
सबद।
 
म्हूं पोखूं
म्हारी पीड़,
भेळो करूं हेत....
आव-
अबखै बगत सारू
अंवेरां आपां
थारै-म्हारै बिचाळै रा
अणकथीज्या
सबद।