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एक नन्ही किरण ! / अशोक कुमार शुक्ला

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हौसलों के सूरज से निकलकर
हताशा की घटाओं से छनकर
दिल के बागीचे तक
आज फिर आ पहुंची है
एक नन्ही किरण !
इसकी गर्माहट ने
पुनः ला दी है
मुरझायें हुये पौधों में
जीवन की चमक!
उम्मीदों की क्षितिज पर
फिर से उभर आया है
एक नया इंद्रधनुष !
खिल उठी हैं अनेक कलियां!!
हमारे और
आप के बागीचे में!!

(संदर्भ: माननीय श्री अरविन्द केजरीवाल का मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार के रूप में शपथ ग्रहण समारोह)