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ट्रेन चल रही है / रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति
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ट्रेन चल रही है बैठे हैं लोग
खिड़की में कुछ कुछ बाहर हैं लोग
बाहर से अन्दर आते हैं लोग
ट्रेन चल रही है बैठे हैं लोग
ट्रेन चल रही है खड़े हैं लोग
खा रहे हैं पराठे पी रहे हैं चाय
ट्रेन चल रही है हिल रहे हैं लोग
धीरे धीरे हिलमिल रहे हैं लोग
बेचता है अन्धा खाते हैं लोग
ट्रेन चल रही है खिसक रहे हैं लोग
ट्रेन चल रही है चल रहे हैं लोग
स्टेशन आ रहा है हो रहे हैं खड़े लोग
कुछ जाग रहे हैं कुछ सो रहे हैं लोग
हिल रहे हैं कुन्दों में बैग, सो रहे हैं लोग
कुछ आ रहे हैं कुछ जा रहे हैं लोग
एक ही ट्रेन में आ जा रहे हैं लोग
ट्रेन चल रही है चल रहे हैं लोग