पारस अरोड़ा : तीन कविता-संग्रै- ‘झळ’, ‘जुड़ाव’, ‘काळजै कलम लागी आग री’ अर उपन्यास- ‘खुलती गांठां’ प्रकाशित। ‘राजस्थानी-1’ नवी कविता की पैली पत्रिका रा पांच कवियां मांय सामिल कवि। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर खातर कविता-संकलन ‘अंवेर’ रौ संपादन। मंगलेश डबराल रै हिंदी कविता संग्रै रौ राजस्थानी अनुवाद- ‘म्हां जिकौ देखां’ साहित्य अकादेमी, नवी दिल्ली सूं प्रकाशित। ‘अपरंच’ तिमाही पत्रिका रै अलावा लोकप्रिय मासिक पत्रिका ‘माणक’ सूं ई संपादन-जुड़ाव रैयौ।