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तुम्हारे प्रेम में गणित था–1 / लीना मल्होत्रा

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वह जो प्रेम था
शतरंज की बिसात की तरह बिछा हुआ हमारे बीच
तुमने चले दाँव-पेच
और मैंने बस ये
कि इस खेल में उलझे रहो तुम मेरे साथ

तुम्हारे प्रेम में गणित था
कितनी देर और…?
मेरे गणित में प्रेम था
बस एक और.. दो और…

तुम्हारा प्रेम दैहिक प्रेम था
जो देह के साथ इस जन्म में ख़त्म हो जाएगा
और मेरा एक कल्पना

जो अपने डैने फैलाकर अँधेरी गुफ़ा में मापता रहेगा अज्ञात आकाश,

और नींद में बढ़ेगा अन्तरिक्ष तक
मस्तिष्क की स्मृति में अक्षुण रहेगा मृत्यु के बाद भी
और सूक्ष्म शरीर ढो कर ले जाएगा उसे कई जन्मों तक
मैंने शायद तुमसे सपने में प्रेम किया था

अगले जन्म में
मै तुमसे फिर मिलूँगी
किसी खेल में
या व्यापार में

तब होगा प्रेम का हिसाब
मै गणित सीख लूँगी तब तक