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घणी छोटी हूं.... / कृष्णा सिन्हा

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घणी छोटी हूं, माटी हूं म्हैं
जे राखोला थे पग म्हा पर
जद ई चरण धूळ ही थांकी हूं म्हंै
घणी छोटी हूं....।
 
जे बध जावोला थे गेला में आगै
थांकी दिशा में ही उडूंला म्हैं
बण’र धूळ रो गुबार
सगळां नैं थांको गेलो ही दिखाऊंला म्हैं
घणी छोटी हूं....।
 
हवा ई जद ना चालै उण समै,
तो माटी में अस्यान धंस जाऊंला म्हंै
बण थांकां पगां रा निसाण
सगळां नैं थांको गेलो ही दिखाऊंला म्हैं
घणी छोटी हूं....।