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गर्मियों में एक प्रेम कविता / निक्की जोवान्नी

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गर्मियों में
आकाश में बादल तैरते हैं
मैं तुम्हारे ऊपर कूदती हूँ

इन्द्रधनुष
लहराता है आकाश से धरती तक
मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ जाती हूँ

सूरज की किरणें
लौटती हैं और घेर लेती हैं मुझे
तुम्हारे ऊपर हँसती हुई