Last modified on 25 जनवरी 2014, at 10:19

काविशों का क़ाफ़िला उनकी नवाजिश पर रुका / रमेश 'कँवल'

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:19, 25 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश 'कँवल' |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhaz...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

काविशों1 का काफ़िला2 उनकी नवाज़िश3 पर रूका
काले सायों का सफ़र जिस्मों की ताबिश4 पर रूका

मछलियों की टोलियों पर नाचती थी चांदनी
रक्से-दिलकश5 ये किसी पत्थर की नालिश पर रूका

वस्ल क़ी रानार्इयों6 में बामो-दर7 गुम हो गये
तल्ख़ियों8 का कारवांदारे–नवाज़िश9 पर रूका

फ़ेल थी बिजली तिलस्मे-खौफ़10 था हर मोड़ पर
चक्र वहशत का अगरचे कोहे-काविश11 पर रूका

यूं तो उसकी भी तमन्ना थी मुझे मिल जाय पर
यार मेरा घर में कल घनघोर बारिश पर रूका

सांझ की दुल्हन ने पीला कर दिया सूरज का मुंह
घूप का लंबा सफ़र दुल्हन की साज़िश पर रूका

बेशिकन था रातभर बिस्तर तसव्वुर12 का ‘कंवल’
ज़हन का गीला बदन फूलों की रामिश13 पर रूका



1. प्रयास, परिश्रम 2. मुसाफिरों की टोली 3. मेहरबानी
4. ताप, आंच 5. मनोरम नृत्य 6. मिलन-सौन्दर्य 7. द्वार और छत
8. कड़वाहट 9. मेहरबानीकीसूली 10. भय का इन्द्रजाल
11. परिश्रम का पहाड़, अथक प्रयत्न 12. कल्पना 13. खुशी.