भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फि‍र / उत्‍तमराव क्षीरसागर

Kavita Kosh से
Uttamrao Kshirsagar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:41, 31 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उत्‍तमराव क्षीरसागर |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थकान के बि‍स्‍तर पर बेसुध नींद
मूर्छा की हद तक
कभी-कभी मौत की तरह
बेहद शांत और थि‍र
                       फि‍र
एक चुटकी सुबह की
और मुसकाती धूप
            पुचकारती नई लंबी यात्रा के लिए
                  बहलाती-सी कि‍सी बच्‍चे की तरह
समझा चुकी होती पूरी तरह एक नया काम