भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक अभ्यास पुस्तिका / ग्योर्गोस सेफ़ेरिस
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:11, 23 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग्योर्गोस सेफ़ेरिस |अनुवादक=अमृ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
उन्होंने हमसे कहा, तुम जीतोगे यदि तुम आत्मसमर्पण कर दो ।
हमने आत्मसमर्पण कर दिया और पाई धूल और राख ।
उन्होंने हमसे कहा, तुम जीतोगे यदि तुम प्रेम करो ।
हमने प्रेम किया और पाई धूल और राख ।
उन्होंने हमसे कहा, तुम जीतोगे यदि तुम अपना जीवन उत्सर्ग कर दो ।
हमने जीवन उत्सर्ग कर दिया और पाई धूल और राख ।