भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ये दुआ मांगता हूँ / धीरेन्द्र अस्थाना

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:52, 26 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरेन्द्र अस्थाना }} {{KKCatGhazal}} <poem>नहीं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नहीं मांगता शजर-ए- अमीरी या खुदा,
मिलती रहे सबको रोटी ,ये दुआ मांगता हूँ!

गैरों की खुशहाली से न हो जलन,
दिल में बस सब्र -ए- अरमां मांगता हूँ !!

निकले न लब से बद्दुआ किसी के खातिर,
इरादे नेक और मुकम्मल इमां मांगता हूँ !!

उजड़े न चैन - ओ- अमन किसी का और,
तेरे ख्वाबों का खुशनुमा जहाँ मांगता हूँ !!

बँट गयी है दुनिया मजहबों में बहुत,
ऐ खुदा इंसानियत का एक कारवां मांगता हूँ !!

नहीं होते इंसान बुरे , हालात बना देते हैं,
ऐसे बुरे हालातों का न होना मांगता हूँ !!