Last modified on 26 फ़रवरी 2014, at 16:01

न ग़ज़ल समझे न गीत समझे / धीरेन्द्र अस्थाना

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:01, 26 फ़रवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरेन्द्र अस्थाना }} {{KKCatKavita}} <poem>मेरे...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे हालात को न ग़ज़ल समझे
न गीत समझे,

वख्त का था क्या तकाज़ा...
न कोई जज़्बात समझे,
न रीत समझे...

ये गुज़रे कल के ज़ख्म हैं...
जिन्हें न हमदम समझे,
न मीत समझे...

दिल कि बाज़ी में हार गये...
फिर भी न हार हम समझे,
न जीत समझे...

बाद मुद्दत के आये अश्क...
इन्हें न फाजिल समझे,
न प्रीत समझे...

मेरे हालात को न ग़ज़ल समझे
न गीत समझे...!