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ज़िन्दगी से उन्स है / साहिर लुधियानवी

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ज़िन्दगी से उन्स है, हुस्न से लगाव है

धड़कनों में आज भी इश्क़ का अलाव है

दिल अभी बुझा नहीं, रंग भर रहा हूँ मैं

ख़ाक-ए-हयात में, आज भी हूँ मुनहमिक

फ़िक्र-ए-कायनात में ग़म अभी लुटा नहीं

हर्फ़-ए-हक़ अज़ीज़ है, ज़ुल्म नागवार है

अहद-ए-नौ से आज भी अहद उसतवार है

मैं अभी मरा नहीं


मुनमहिक=संलग्न; उसतवार=पुष्ट