भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बादल / निवेदिता

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:53, 9 मार्च 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

मिलना चाहती थी
स्याह बादलों से
जो बरस पड़ते हैं
इस बिखरती हुई आधी रात में
खाली खुली छत पर
चाँद की रौशनी में
बुलाते हैं रात भर
बुलाते हैं
 
नीले और आसमानी बादल
कहते हैं तुम्हारे शहर में हम आए हैं
पीली मिट्टी के रास्तों
मोहगनी के घने पेड़ से गुज़रकर
तुम्हारी गली में बरस रहे हैं
वे बड़े नसीब वाले हैं राहगीर
जो क़ायनाती आसमान का दीदार करते हैं
तारों के उजास में
बादलों के सीने से लिपटे
खुली सड़कों पर भीगते रहते -- भीगते जाते ।