Last modified on 13 मार्च 2014, at 09:35

इतना तो बतलाते / गोपालदास "नीरज"

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:35, 13 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालदास "नीरज" |अनुवादक= |संग्रह=ग...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

निष्ठुर इतना तो बतलाते!
कौन भूल ऐसी की हमनें
जो यह दण्ड दिया है तुमने
थमते अश्रु न और भूलकर होंठ कभी मुस्काते।
निष्ठुर इतना तो बतलाते!

तोड़ प्रेम के बन्धन सारे
जाना था यूँ ही यदि प्यारे
ले जाते निज याद, हृदय मेरा मुझको दे जाते।
निष्ठुर इतना तो बतलाते!

तो अकुलाते प्राण न इतने
तो न बिलखते टूटे सपने
हम भी आकर द्वार तुम्हारे, तुम पर धूल उड़ाते।
निष्ठुर इतना तो बतलाते!

हैं जग में सुन्दर से सुन्दर
बहुत देवता, जो पूजा पर
कर देते खुद को न्योछावर
किन्तु हमारी कमजोरी यह-
उनको ही पूजते सदा हम, जो पूजा ठुकराते।
निष्ठुर इतना तो बतलाते!