भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अनुभव / ज़्यून तकामी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:57, 29 नवम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ज्यून तकामी |संग्रह=पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब / ज्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ज्यून तकामी  » संग्रह: पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब
»  अनुभव

लेट कर जब मैंने

दर्पण में झाँका

और बगीचे के हरेपन को

देखने की कोशिश की

दर्पण में दिखाई दिया मुझे

प्रतिबिम्ब आसमान का ।


ऎसा लगा अचानक

जैसे किसी ने

आँखों पर मेरी किया हो वार

बेहोश हो गया मैं

सिर चकराने लगा मेरा

कठोर था, बेहद कठोर

अनुभव का यह प्रहार ।


दर्द से सिर