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एक दिन मैंने
अपने घर की खिड़की से
जब बगीचे में झाँका ।
ऎसा लगा अचानक
बांध लिया हो अपनी बाहों में जैसे
वो हरा वृक्ष बाँका ।
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एक दिन मैंने
अपने घर की खिड़की से
जब बगीचे में झाँका ।
ऎसा लगा अचानक
बांध लिया हो अपनी बाहों में जैसे
वो हरा वृक्ष बाँका ।