भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्षमा याचना / अटल बिहारी वाजपेयी
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 29 नवम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी }} क्षमा करो बापू ! तुम हमको,<br> बचन भं...)
क्षमा करो बापू ! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंजिल भूले, यात्रा आधी |
जयप्रकाश जी ! रखो भरोसा,
टुटे सपनों को जोड़ेंगे |
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे |