जीवन की ढलने लगी साँझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी साँझ |
बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शान्ति बिना खुशियाँ है बाँझ |
सपनोँ में मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पाँव और झिझक रही झाँझ |
जीवन की ढलने लगी साँझ |
जीवन की ढलने लगी साँझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी साँझ |
बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शान्ति बिना खुशियाँ है बाँझ |
सपनोँ में मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पाँव और झिझक रही झाँझ |
जीवन की ढलने लगी साँझ |