भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हास्याष्टक / काका हाथरसी
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:31, 29 नवम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=काका हाथरसी |संग्रह=काका के प्रहसन / काका हाथरसी }} ‘का...)
‘काका’ से कहने लगे, शिवानंद आचार्य
रोना-धोना पाप है, हास्य पुण्य का कार्य
हास्य पुण्य का कार्य, उदासी दूर भगाओ
रोग-शोक हों दूर, हास्यरस पियो-पिलाओ
क्षणभंगुर मानव जीवन, मस्ती से काटो
मनहूसों से बचो, हास्य का हलवा चाटो
आमंत्रित हैं, सब बूढ़े-बच्चे, नर-नारी
‘काका की चौपाल’ प्रतीक्षा करे तुम्हारी