Last modified on 1 अप्रैल 2014, at 10:44

प्रजातन्त्र की नंगी तस्वीर / नित्यानंद गायेन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:44, 1 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नित्यानंद गायेन |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम्हारे हाथ उठे जब–जब
आम आदमी के बहाने
हमने देखी खुली आँखों से
प्रजातन्त्र की नंगी तस्वीर

लूट हुई, दंगे हुए
बँटवारा हुआ इन्सानियत का
तुमने सिर्फ़ वोट बटोरे

फिर तुमने कमल खिलाया
कीचड़ का भी अपमान किया
आग लगाई
बस्तियाँ जलाई
देश में लहू की धार बहाई
दुहाई तुम्हारी दुहाई तुम्हारी