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माचिस / नील कमल
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मेरे पास एक माचिस की डिबिया है
माचिस की डिबिया में कविता नहीं है
माचिस की डिबिया में तीलियाँ हैं
माचिस की तीलियों में कविता नहीं है
तीलियों की नोक पर है रत्ती भर बारूद
रत्ती भर बारूद में भी कहीं नहीं है कविता
आप तो जानते ही हैं कि बारूद की जुड़वाँ पट्टियाँ
माचिस की डिबिया के दाहिने-बाँए सोई हुई हैं गहरी नींद
एक बारूद जगाता है
दूसरे बारूद को कितने प्यार से,
इस प्यार वाली रगड़ में है कविता ।