Last modified on 3 अप्रैल 2014, at 11:20

साईनबोर्ड / रंजना जायसवाल

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:20, 3 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह= }} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मूछें आगे हैं
घूंघट पीछे
प्रधानी चुनाव के लिए
दाखिले का दिन है
मूंछें प्रचार कर रहीं हैं
हाथ जोड़े खड़ा है घूंघट
हर गाँव में यही हाल है

परम्परावादी हैरान
घर की इज्जत यूं चौपाल पर
प्रगतिशील परेशान
ऐसी प्रगति अचानक!
मूंछें तो वही हैं सदियों पुरानी
मर्दों की आन-बान-शान
छीन रखा है जिन्होंनें
औरत का चेहरा घूंघट के नाम

मूंछें बदलीं नहीं हैं
समय के हिसाब से बदल लिया है बस
आकार-प्रकार
आचार-विचार
बोली-व्यवहार
काबिज रहने का यह नया तरीका है

घूंघट इस बात से अनजान है
मूंछें नाच रहीं हैं
जीता है घूंघट
उत्सव का माहौल है
बंट रही हैं मिठाईयां
ले-देकर घूंघट भी खुश है
घूंघट घर में चूल्हा जला रहा है
मूंछें चौपाल में जश्न मना रहीं हैं
सामने खुली पड़ी हैं बोतलें
देर रात डगमगातीं घर लौटी हैं मूछें
घूंघट को सोता देख चिल्लाईं हैं
थरथराता घूंघट अब जमीन पर है
सीने पर सवार हैं मूंछें
बाहर साइनबोर्डों पर
घूँघट सवार है.