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नास्तिकों की भाषा -८ / प्रेमचन्द गांधी
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याचना और प्रार्थना के गीत
नहीं संभव हमारे यहां
हम नहीं रच सकते
जीवन से विरक्ति के गीत
इसलिए हमारे कवियों ने रचे
उत्कट और उद्दाम आकांक्षाओं के गीत
जैसे सृष्टि ने रचा
समुद्र का अट्टहास
हवा का संगीत.