भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गर्मी (हाइकु) / भावना कुँअर

Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:05, 6 मई 2014 का अवतरण ('Category:हाइकु <poem> '''1 गर्मी जो आई धूप लेती जम्हाई लू अलसा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


1
गर्मी जो आई
धूप लेती जम्हाई
लू अलसाई।
2
पसीने भीगे
कलियों के चेहरे
लूएँ हैं छेड़े।
3
ये दुपहरी
बतियाती फिरती
क्यों न थकती।
4
पगडंडियाँ
हैं अलसाई पड़ी
जिद्दी हैं बड़ी।
5
क्या कर जाएँ
सिरफिरी हवाएँ
कैसे बताएँ।
6
ऊँघता कुआँ
जून की दुपहरी
लुएँ प्रहरी।
-0-