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ईसुरी की फाग-10 / बुन्देली
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♦ रचनाकार: ईसुरी
पतरें सोनें कैसे डोरा, रजऊ तुमाये पोरा
बड़ी मुलाम पकरतन घरतन लग न जाए नरोरा
पैराउत में दैया-मैया, दाबत परे दादोरा
रतन भरे सें भारी हो गये, पैरन कंचन बोरा
'ईसुर' कउँ का देखे ऎसे, नर-नारी का जोरा ।