उतना ही आदर कीजिए
किसी व्यक्ति का
जितना हर वक्त, हर स्थिति में
हर व्यक्ति के सामने
आप निःसंकोच कर सकें।
अन्यथा, सार्वजनिक रूप से
चरण-स्पर्श आप कर नहीं सकते
और खोखली नमस्ते
वह पचा नहीं सकेगा
इस तरह, कोई भी
किसी का सम्मान बचा नहीं सकेगा।
उतना ही आदर कीजिए
किसी व्यक्ति का
जितना हर वक्त, हर स्थिति में
हर व्यक्ति के सामने
आप निःसंकोच कर सकें।
अन्यथा, सार्वजनिक रूप से
चरण-स्पर्श आप कर नहीं सकते
और खोखली नमस्ते
वह पचा नहीं सकेगा
इस तरह, कोई भी
किसी का सम्मान बचा नहीं सकेगा।