Last modified on 15 मई 2014, at 12:32

मन रे परसि हरिके चरण / मीराबाई

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 15 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मन रे परसि हरिके चरण।

सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण।
जिण चरण प्रहलाद परसे इंद्र पदवी धरण॥

जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे राख अपनी सरण।
जिण चरण ब्रह्मांड भेटयो नखसिखां सिर धरण॥

जिण चरण प्रभु परसि लीने तेरी गोतम घरण।
जिण चरण कालीनाग नाथ्यो गोप लीला-करण॥

जिण चरण गोबरधन धार।ह्यो गर्व मघवा हरण।
दासि मीरा लाल गिरधर अगम तारण तरण॥