Last modified on 16 मई 2014, at 12:02

आज कछु देखियत ओर ही बानक / कृष्णदास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:02, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्णदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(मंगला समय)

आज कछु देखियत ओर ही बानक प्यारी तिलक आधे मोती मरगजी मंग।
रसिक कुंवर संग अखारे जागी सजनी अधर्सुख निस बजावत उपंग॥१॥
नव निकुंज रंग मंडप में नृत्य भूमि साजि सेज सुरंग।
तापर विविध कल कूजित सखी सुनत श्रवन वन थकित कुरंग॥२॥
कृष्णदास प्रभु नटवर नागर रचत नयन रतिपति व्रत भंग।
मोहनलाल गोवर्धनधारी मोहि मिलन चलि नृत्य अनंग॥३॥