भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रत्न जटित कनक थाल / चतुर्भुजदास
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:40, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चतुर्भुजदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)
रत्न जटित कनक थाल मध्य सोहे दीप माल अगर आदि चंदन सों अति सुगंध मिलाई ॥
घनन घनन घंटा घोर झनन झनन झालर झकोर ततथेई ततथेई बोले सब ब्रज की नारी सुहाई ॥१॥
तनन तनन तान मान राग रंग स्वर बंधान गोपी सब गावत हैं मंगल बधाई॥
चतुर्भुज गिरिधरन लाल आरती बनी रसाल तनमनधन वारत हैं जसोमति नंदराई ॥२॥