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आज दधि कंचन मोल भई / परमानंददास

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आज दधि कंचन मोल भई।
जा दधि को ब्रह्मादिक इच्छत सो गोपन बांटि दई॥१॥
दधि के पलटे दुलरी दीनी जसुमति खबर भई।
परमानंददास को ठाकुर वरवट प्रीति नई॥२॥