Last modified on 16 मई 2014, at 16:04

राखी बांधत जसोदा मैया / परमानंददास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:04, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमानंददास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राखी बांधत जसोदा मैया ।
बहु सिंगार सजे आभूषण गिरिधर भैया॥१॥
रतन खचित राखी बांधि कर, पुन पुन लेत बलैया।
सकल भोग आगे धर राखे, जनक जु लेहु कन्हैया ॥२॥
यह छबि देख मग्न नंद रानी, निरख निरख सचु पैया।
जियो जसोदा पूत तिहारो परमानंद बल जैया ॥३॥