Last modified on 16 मई 2014, at 16:21

गावत गोपी मधु मृदु बानी / परमानंददास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:21, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमानंददास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गावत गोपी मधु मृदु बानी ।
जाके भवन बसत त्रिभुवनपति राजा नंद यसोदा रानी ॥१॥
गावत वेद भारती गावत गावत नारदादि मुनि ज्ञानी ।
गावत गुन गंधर्व काल सिव गोकुल नाथ महात्तम जानी ॥२॥
गावत चतुरानन जगनायक गावत शेष सहस्त्र मुखरासी ।
मन क्रम बचन प्रीति पद अंबुज अब गावत ‘परमानंद’ दासी ॥३॥