भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नदी के ख़्वाब दिखायेगा तश्नगी देगा / अखिलेश तिवारी

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:06, 19 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अखिलेश तिवारी |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नदी के ख़्वाब दिखायेगा तश्नगी देगा
खबर न थी वो हमें ऐसी बेबसी देगा

नसीब से मिला है इसे हर रखना
कि तीरगी में यही ज़ख्म रौशनी देगा

तुम अपने हाथ में पत्थर उठाये फिरते रहो
मैं वो शजर हूँ जो बदले में छाँव ही देगा