भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पलना स्याम झुलावत जननी / सूरदास

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:26, 20 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} {{KKAn...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पलना स्याम झुलावत जननी ।
अति अनुराग पुरस्सर गावति, प्रफुलित मगन होति नंद घरनी ॥१॥
उमंगि उमंगि प्रभु भुजा पसारत, हरषि जसोमति अंकम भरनी ।
सूरदास प्रभु मुदित जसोदा, पूरन भई पुरातन करनी ॥२॥