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तस्वीर बदल दो दुनिया की / शशिप्रकाश

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तोड़ो ये दीवारें, भर दो अब ये गहरी खाई
जागो दुखियारे इन्सानो
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की

चलती मशीनें ये तेरे ही हाथों से
उगती हैं फ़सलें ये तेरे ही हाथों से
क्यों फिर ले जाते हैं
ज़ुल्मी जोंक तुम्हारी कमाई
उठ जाओ मज़दूरो और किसानो
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की

ये चौबारे महल उठाए हैं तूने
सुख के सब सामान जुटाए हैं तूने
फिर क्यों बच्चों ने तेरे
हर दम आधी रोटी खाई
उठ जाओ मज़लूमो और जवानो
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की

ज़ुल्मों की कब्रें तेरे ही हाथ खुदेंगी
तेरे ही हाथों नई दुनिया बनेगी
मत ये समझो तूने
जीवन की सब पूँजी गँवाई
जागो दुखियारे इन्सानो
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
 तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की