भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कायकूं बहार परी / सूरदास
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:14, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कायकूं बहार परी । मुरलीया ॥ कायकू ब०॥ध्रु०॥
जेलो तेरी ज्यानी पग पछानी । आई बनकी लकरी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥१॥
घडी एक करपर घडी एक मुखपर । एक अधर धरी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥२॥
कनक बासकी मंगावूं लकरियां । छिलके गोल करी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥३॥
सूरदासकी बाकी मुरलिये । संतन से सुधरी । मुरलिया काय०॥४॥